
जसोल, बालोतरा (राजस्थान)आस्था, श्रद्धा और लोक-संस्कृति के दिव्य संगम से ओतप्रोत श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोल में मंगलवार को श्री बायोसा, श्री सवाईसिंह जी, श्री लाल बन्ना सा, श्री खेतलाजी एवं श्री काला-गौरा भैरूजी मंदिरों की प्राण-प्रतिष्ठा के चतुर्थ वार्षिक पाटोत्सव महोत्सव का भव्य आयोजन अत्यंत पावन और आध्यात्मिक वातावरण में हुआ। प्रातःकालीन मंगला आरती के साथ इस सांस्कृतिक-धार्मिक पर्व का शुभारंभ हुआ, जिसने सम्पूर्ण मंदिर परिसर को भक्ति और दिव्यता के अद्वितीय तेज से आलोकित कर दिया।मंगला आरती के समय शंखध्वनि, घंटनाद, दीपप्रज्वलन तथा भक्तों के उल्लासपूर्ण जयकारों ने वातावरण को अत्यंत उन्नत, पवित्र और ऊर्जा से परिपूर्ण बना दिया। जैसे-जैसे सूर्योदय हुआ, मंदिर प्रांगण में भक्तों की उपस्थिति और आयोजन की गरिमा निरंतर बढ़ती गई, जिससे पूरा परिसर एक पावन तीर्थ स्थली के रूप में निखर उठा।

वैदिक परंपरा के अनुरूप सम्पन्न विविध मंगल विधियाँ—पवित्र ध्वनियों से गूंज उठा संपूर्ण परिसरमंगला आरती के पश्चात विद्वान पंडितों द्वारा वैदिक स्वरूप में विभिन्न पूजा-अनुष्ठानों की विस्तृत श्रृंखला आरंभ हुई। वेद-मंत्रों, ऋचाओं एवं शुद्धोच्चारित स्वरों की गूंज ने मंदिर वातावरण को अलौकिक बना दिया। पाटोत्सव के मुख्य अनुष्ठानों में— श्री गणपति पूजन, श्री बायोसा पूजन, श्री सवाईसिंह जी पूजन, श्री लाल बन्ना सा पूजन, श्री खेतलाजी पूजन, श्री काला-गौरा भैरुजी पूजन, विशेष पाटोत्सव पूजन, नवग्रह शांति एवं संकल्प विधि, पवित्र हवन–यज्ञ, कन्या पूजन, तैलाभिषेक एवं दुग्धाभिषेक सम्पन्न हुए। इन सभी अनुष्ठानों ने पाटोत्सव को और अधिक आध्यात्मिक, प्रभावशाली और संस्कार-समृद्ध बना दिया। दिनभर धूप, हवन की पवित्र सुगंध, वैदिक उच्चारण और देव-पूजन की निरंतरता ने पूरे परिसर को धार्मिक तेज से आलोकित रखा।

संस्थान अध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल द्वारा मां जसोल के समस्त भक्तों के कल्याण हेतु विशेष संकल्प—कन्या पूजन बना महोत्सव का भावनात्मक केंद्रसंस्थान अध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल द्वारा श्री राणीसा भटियाणीसा सहित मंदिर प्रांगण स्थित समस्त मंदिरों के समक्ष क्षेत्र, समाज, देश तथा समस्त भक्तजनों के कल्याण के लिए विशेष संकल्प लेकर विस्तृत पूजा-अर्चना की गई। उन्होंने समाज में सद्भाव, समृद्धि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति हेतु प्रार्थना की।पाटोत्सव की गरिमा को और उत्कृष्ट बनाते हुए जसोल नगर सर्व समाज छत्तीस कौमों की कन्याओं का पारंपरिक शास्त्रोक्त विधि से पूजन किया गया। उन्हें फल-प्रसाद, अन्नपूर्णा प्रसादम एवं दक्षिणा प्रदान की गईं। यह आयोजन पाटोत्सव का सबसे कोमल, भावनात्मक और महत्वपूर्ण संस्कार-भाग रहा, जिसे उपस्थित सभी भक्तजनों ने गहरी श्रद्धा से अनुभव किया।

भक्ति, लोक-कलाओं और संस्कृति का अनुपम संगम—मनोरम प्रस्तुतियों से भक्तिमय हुआ संपूर्ण परिसरपाटोत्सव के अवसर पर दिनभर सांस्कृतिक विरासत से सराबोर विविध लोक-कलाओं की प्रस्तुतियां आयोजित की गईं। जसोल नगरपालिका के स्थानीय गैर नृत्य कलाकारों ने अपनी आकर्षक व ऊर्जावान प्रस्तुतियों से जन-जन में उत्साह की नई लहर उत्पन्न की।पुष्कर से आए नगाराची कलाकारों ने अपने पारंपरिक नगाड़ों की मोहक ध्वनि से वातावरण को पवित्र और ऊर्जावान बनाया। जसोल के स्थानीय दमामी कलाकारों ने ढोल-थाली की दिव्य तालों से भक्ति को अद्भुत ऊँचाईयाँ दी।हड़वेचा बाड़मेर से आए प्रसिद्ध मांगणियार कलाकारों ने श्री राणीसा भटियाणीसा, श्री बायोसा, श्री सवाईसिंह जी, श्री लाल बन्ना सा, श्री खेतलाजी एवं श्री काला-गौरा भैरूजी आराध्य देवताओं के भक्ति भजनों की सरस प्रस्तुति देकर दिनभर वातावरण में मधुरिमा और अध्यात्म का मनोमुग्धकारी संगम स्थापित किया। परंपरागत घुड़ नृत्य की अद्भुत व आकर्षक प्रस्तुति ने भक्तों का विशेष ध्यान आकर्षित किया।
इस अवसर पर मंदिर परिसर, मुख्य द्वार एवं समस्त मंदिरों को विशेष विद्युत-प्रकाश सज्जा, झालरों, पुष्प-मालाओं एवं पारंपरिक अलंकरणों से सुसज्जित किया गया। पूरा परिसर उत्सव की भव्यता से दैदीप्यमान दिखाई दिया। दिनभर निरंतर महाप्रसादी का वितरण होता रहा, जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर दिव्यता का आनंद प्राप्त किया।
सांध्यकालीन दिव्य आरती एवं सुरमयी भजन संध्या सम्पन्नसांध्य बेला के शांत, सौम्य और पवित्र वातावरण में दीपों की स्वर्णिम आभा जब सम्पूर्ण परिसर में दिव्यता बिखेर रही थी और गगनभेदी शंखनाद से वातावरण गुंजायमान हो रहा था, तभी विशेष संध्या कालीन आरती अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और गरिमा के साथ सम्पन्न हुई। आरती की ज्योति से प्रवाहित दिव्य आभा ने उपस्थित श्रद्धालुओं के मन को शांति, पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण कर दिया।
आरती के उपरांत सुमधुर ‘भजन संध्या’ का आयोजन भव्यता और अध्यात्म के अनुपम संगम के रूप में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर छतांगढ़, जैसलमेर से आए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मेघवंशी कलाकार महेशाराम एवं उनकी प्रतिष्ठित मंडली ने देवी-भक्ति पर आधारित विविध रागों और सुरों से सजी मनोहारी प्रस्तुतियाँ दीं। उनकी अद्वितीय गायकी, मधुर ताल-लय और भक्ति-रस से ओतप्रोत स्वर-लहरियों ने वातावरण को आध्यात्मिक भावों से सराबोर कर दिया।
महेशाराम एवं मंडली द्वारा प्रस्तुत प्रत्येक भजन ने श्रद्धालुओं के हृदय को गहन रूप से स्पंदित किया और संपूर्ण प्रांगण, मंडप तथा परिसर में भक्ति, अनुरक्ति और दिव्यता का अलौकिक प्रवाह अनुभव कराया। उनकी प्रस्तुतियों ने संध्या को एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभूति में परिवर्तित कर दिया।यह सुरमयी, भक्ति-रस से परिपूर्ण संध्या, दिनभर आयोजित पाटोत्सव कार्यक्रम का एक अत्यंत आकर्षक, सफल और स्मरणीय पड़ाव सिद्ध हुई, जिसकी मधुर स्मृतियाँ श्रद्धालुओं के हृदयों में लंबे समय तक संजोई रहेंगी।
पूर्व संध्या पर राती-जोगा—रातभर गूंजती रही भक्ति की स्वर-लहरियाँपाटोत्सव की पूर्व संध्या पर समस्त मंदिरों में रातभर ‘राती-जोगा’ का आयोजन किया गया। स्थानीय दामामणियों, दमामियों एवं भील समुदाय की महिलाओं ने पारंपरिक भजनों, देवी-स्तुतियों और लोक भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियों से रातभर भक्ति की अखण्ड ज्योति प्रज्ज्वलित रखी। यह आयोजन देर रात तक अत्यंत सफल और भावपूर्ण रहा
उपस्थित गणमान्यजन—सभी ने दी अपनी श्रद्धापूर्ण सहभागितापाटोत्सव के इस पावन अवसर पर संस्थान सचिव गजेन्द्र सिंह जसोल, संस्थान प्रवक्ता कुंवर हरिश्चंद्र सिंह जसोल, समिति सदस्य गुलाबसिंह डंडाली, हनुवंत सिंह नौसर, सूरजभान सिंह दाखा, लाल सिंह असाड़ा सहित मालाणी क्षेत्र के अनेक प्रबुद्धजन, महिलाएं, युवा और श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने पाटोत्सव महोत्सव की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक गरिमा का लाभ लिया तथा अपनी उपस्थिति से आयोजन की शोभा बढ़ाई।

