जिले की स्थायी लोक अदालत ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने बीमा कंपनी द्वारा बीमाधारक की पत्नी को क्लेम राशि का भुगतान नहीं करने को “सेवा दोष” (Deficiency in Service) करार दिया है और कंपनी को न केवल पूरी क्लेम राशि चुकाने बल्कि ब्याज एवं हर्जाना देने का भी निर्देश दिया है।
मामला क्या है?
यह पूरा विवाद बालोतरा निवासी ललिता देवी से जुड़ा हुआ है। उनके पति ने किसी वित्तीय संस्था से लोन लिया था, जिसके लिए एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से बीमा करवाया गया था। इस बीमा का उद्देश्य स्पष्ट रूप से ऋण की सुरक्षा सुनिश्चित करना था ताकि किसी भी अनहोनी की स्थिति में परिजनों को आर्थिक बोझ न उठाना पड़े।
लेकिन दुर्भाग्यवश प्रार्थिया ललिता देवी के पति का निधन हो गया। इसके बाद ललिता देवी ने निर्धारित प्रक्रिया के तहत कंपनी के पास बीमा क्लेम दायर किया। यह राशि 85,56,338 रुपये थी।
बीमा कंपनी ने क्यों ठुकराया क्लेम?
ललिता देवी का कहना था कि उन्होंने सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए थे और नियमानुसार क्लेम दायर किया था। इसके बावजूद एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया। कंपनी के इस कदम से न केवल प्रार्थिया को मानसिक पीड़ा हुई बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ा।
लोक अदालत में पहुंचा मामला
बीमा कंपनी के इस रवैये से निराश होकर ललिता देवी ने स्थायी लोक अदालत, बालोतरा का दरवाजा खटखटाया। लोक अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई की और दोनों पक्षों के तर्कों को विस्तार से सुना।
लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी संतोष कुमार मित्तल (सेवानिवृत्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश) और सदस्य कैलाश चंद माहेश्वरी (एडवोकेट) ने मामले का गहन परीक्षण किया।
अदालत ने पाया कि बीमा कंपनी ने अनुचित तरीके से क्लेम को ठुकराया, जबकि यह बीमा लोन की सुरक्षा हेतु ही कराया गया था।

