जसोल मंदिर दर्शन के लिए निकला एक परिवार बुधवार दोपहर लूणी नदी के तेज बहाव की चपेट में आकर हादसे का शिकार हो गया। दोपहर करीब सवा एक बजे बालोतरा-जसोल मार्ग पर श्रद्धालुओं से भरी बोलेरो नदी की रपट पार करते समय अचानक पानी में फंस गई और पलटकर गहरे गड्ढे में समा गई। इस दर्दनाक हादसे में मां और उसकी दो बेटियों की मौत हो गई, जबकि तीन लोग अब भी लापता हैं।
खुशियों का सफर मातम में बदला
हादसे का शिकार हुआ परिवार शेरगढ़ के नृसिंहपुरा गांव का निवासी है। पेमाराम (40) अपने पूरे परिवार के साथ जसोल मंदिर में बेटे के जन्म की मन्नत पूरी करने दर्शन करने आया था। हंसी-खुशी शुरू हुआ यह सफर अचानक मातम में बदल गया। तेज बहाव ने बोलेरो को पलट दिया और पूरा परिवार नदी में समा गया।
अब तक की स्थिति – तीन मौतें, तीन लापता

हादसे में पेमाराम की पत्नी मीरा देवी (32) और उसकी दो बेटियां उर्मिला (7) व पूजा (3) की मौके पर ही मौत हो गई। गाड़ी में मौजूद आठ माह का बेटा, पेमाराम की वृद्ध मां और परिवार का एक परिचित पुजारी अब तक लापता हैं। चालक देवाराम और पेमाराम को ग्रामीणों ने बाहर निकाला और नाहटा अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
हादसे की वजह – बहाव देखकर भी उठाया जोखिम
ग्रामीणों के मुताबिक, बोलेरो चालक और परिवार पहले पानी देखकर रुके थे। तभी सामने से एक कैंपर गाड़ी रपट पार करती हुई दिखाई दी। इसे देखकर उन्होंने भी गाड़ी आगे बढ़ाने का साहस किया। कुछ ही मीटर बाद बोलेरो तेज बहाव में अनियंत्रित होकर पलट गई और किनारे बने गहरे गड्ढे में जा गिरी।
बचाव कार्य – 24 घंटे से जारी तलाशी

हादसे के बाद ग्रामीणों ने शोर मचाकर मदद जुटाई। जसोल थाना पुलिस, सिविल डिफेंस टीम और स्थानीय तैराक मौके पर पहुंचे। क्रेन और जेसीबी की मदद से गाड़ी को बाहर निकाला गया। तीन शव तो निकाल लिए गए, लेकिन बाकी लापता सदस्यों की तलाश के लिए एसडीआरएफ की विशेष टीम बुलाई गई। बुधवार देर शाम जोधपुर से टीम मौके पर पहुंची और पानी में गोता लगाया, लेकिन भारी बरसात के चलते ऑपरेशन रोकना पड़ा। गुरुवार सुबह से फिर तलाशी अभियान तेज किया गया। चार ड्रोन कैमरों से भी नदी किनारों और बहाव क्षेत्र में लगातार सर्चिंग की जा रही है।
प्रशासन की मौजूदगी और अपील
हादसे की जानकारी मिलते ही जिला कलेक्टर सुशील कुमार यादव और पुलिस अधीक्षक रमेश कुमार मौके पर पहुंचे। उनके साथ बालोतरा डीएसपी, एसडीएम और तहसीलदार भी मौजूद रहे। अधिकारियों ने राहत-बचाव कार्य का जायजा लिया और टीमों को दिशा-निर्देश दिए।
कलेक्टर ने बताया कि नदी के रपटों पर पहले ही आवागमन रोकने के आदेश दिए गए थे, लेकिन लापरवाही से गाड़ी पानी में घुस गई। उन्होंने लोगों से अपील की कि तेज बहाव में किसी भी तरह का जोखिम न उठाएं।
गांव में मातम, दुआओं का दौर
जैसे ही हादसे की खबर नृसिंहपुरा गांव पहुंची, पूरा गांव शोक में डूब गया। ग्रामीणों ने बताया कि पेमाराम का परिवार बेटे की मन्नत पूरी करने मंदिर आया था, लेकिन किस्मत ने खुशियां छीन लीं। पत्नी और दोनों बेटियों की मौत से पेमाराम अस्पताल में बेसुध पड़ा है, वहीं गांववाले उसकी वृद्ध मां, मासूम बेटे और पुजारी की सलामती की दुआ कर रहे हैं।
अब भी तीन जिंदगियां दांव पर
हादसे को 24 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है। SDRF और सिविल डिफेंस की टीमें लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही हैं, मगर नदी का तेज बहाव और बरसात बड़ी बाधा बनी हुई है। बुजुर्ग महिला, आठ माह का बच्चा और पुजारी का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है।

