बालोतरा/बाड़मेर।राजस्थान के बाड़मेर जिले के बालोतरा क्षेत्र में वर्षों से चली आ रही दूषित पानी और जलभराव की गंभीर समस्या एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मुद्दा केवल जलजनित संकट तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राज्य सरकार के एक मंत्री की टिप्पणी ने राजनीतिक तापमान भी बढ़ा दिया है।
शनिवार को बाड़मेर दौरे पर पहुंचे उद्योग एवं वाणिज्य राज्य मंत्री के.के. विश्नोई ने जब बालोतरा में जलभराव और दूषित पानी की समस्या पर पूछे गए सवाल का जवाब एक हास्यात्मक लहजे में दिया, तो उनके इस बयान ने न सिर्फ स्थानीय जनता की नाराजगी बढ़ाई, बल्कि विपक्ष को भी सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया।
‘मुख्यमंत्री भगवान इंद्र से करते हैं निवेदन’ – मंत्री का बयान
पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर मंत्री विश्नोई ने कहा, “जब हमारे मुख्यमंत्री भरतपुर में भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना करते हैं, तो इंद्रदेव इतनी कृपा कर देते हैं कि बारिश रुकने का नाम ही नहीं लेती। बाद में खुद मुख्यमंत्री को इंद्रदेव से विनती करनी पड़ती है कि अब बस करो, वरना लोग परेशान हो जाएंगे।”
उनका यह कथन जलभराव से त्रस्त बालोतरा के लोगों के लिए न तो मजाकिया रहा और न ही स्वीकार्य। उनके इस बयान को लेकर विपक्षी दलों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी तीव्र प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
जोजरी नदी बना ज़हर का बहाव, गांवों में पसरी तबाही
बालोतरा क्षेत्र की त्रासदी की जड़ में है जोजरी नदी, जिसके जरिए जोधपुर और पाली की फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला औद्योगिक कचरा बाढ़ के समय बहकर बाड़मेर तक पहुंचता है। हर साल मानसून के मौसम में बारिश के पानी से ही नहीं बल्कि जोधपुर से आने वाला जहरीला, काले और बदबूदार पानी के सैलाब से दर्जनों गांव जलमग्न हो जाते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, इस जहरीले जल से उनकी फसलें नष्ट हो जाती हैं, घरों में गंदा पानी घुस जाता है और कई बार तो लोगों को अपने घर छोड़कर अन्य सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर होना पड़ता है। बच्चों और बुजुर्गों में जलजनित बीमारियों का खतरा हर साल बढ़ता जा रहा है।
स्थायी समाधान की नहीं हो रही पहल, वर्षों से वही हालात
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है। बीते कई वर्षों से इस क्षेत्र में हर साल मानसून के साथ यह संकट दस्तक देता है, लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। ना तो कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था की गई है और ना ही दूषित पानी की निकासी की प्रभावी योजना बनाई गई है।
कांग्रेस ने मंत्री के बयान को बताया ‘गंभीर गैर-जिम्मेदारी‘
बायतू से कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने मंत्री विश्नोई की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार अब भगवान से उम्मीद लगा बैठी है, और यह दर्शाता है कि वह जमीनी स्तर पर समस्या सुलझाने में पूरी तरह विफल हो चुकी है। चौधरी ने कहा, “यह बयान न सिर्फ असंवेदनशील है, बल्कि आम जनता की पीड़ा का उपहास उड़ाने जैसा है। सरकार बयानबाजी से आगे नहीं बढ़ रही, जबकि धरातल पर कोई ठोस कार्य नहीं हो रहा है।”
उन्होंने यह भी बताया कि जोजरी नदी के किनारे बसे गांवों में लगातार जलभराव के चलते न केवल जनजीवन अस्त-व्यस्त है, बल्कि वहां गंभीर स्वास्थ्य संकट भी उत्पन्न हो रहे हैं। कई बार प्रशासन को राहत कैंप लगाने पड़ते हैं, परंतु समाधान की दिशा में स्थायित्व कहीं नहीं दिखता।
प्रभावित गांवों में मानसून बना पलायन का कारण
बालोतरा और जोधपुर के बीच बसे कई गांवों के लोग मानसून के महीनों में साल दर साल पलायन करने को मजबूर होते हैं। काले और जहरीले पानी के कारण लोग अपने घर छोड़कर बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाते हैं। कई परिवार तो स्थायी रूप से इन क्षेत्रों को छोड़ने का मन बना चुके हैं।
ग्रामीण वन्फुल सिंह ने बताया, “हर साल सरकार आश्वासन देती है, लेकिन बारिश आते ही फैक्ट्रियों का कचरा हमारे गांवों को डुबो देता है। अब तो डर लगने लगा है कि कहीं यह पानी हमारे जीवन को ही न निगल जाए।”
सरकारी निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल
स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरण विशेषज्ञों की ओर से बार-बार यह मांग उठती रही है कि सरकार जोधपुर और पाली के औद्योगिक कचरे के निस्तारण के लिए विशेष नीति बनाए और बालोतरा क्षेत्र में जल निकासी की ठोस व्यवस्था सुनिश्चित करे। लेकिन अफसोस की बात है कि ये सारी मांगें कागजों तक ही सीमित रह गई हैं।

