शहर में आवारा पशुओं की समस्या ने एक बार फिर बड़ा रूप ले लिया है। रविवार शाम एक दुखद हादसे में आवारा सांड ने एक दुकानदार पर हमला कर उसकी जान ले ली। इस घटना के बाद सोमवार को लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और बड़ी संख्या में नागरिक जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर विरोध-प्रदर्शन करने लगे। शहरवासियों ने नगर परिषद पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया और स्थायी समाधान की मांग की।
घटना कैसे हुई
जानकारी के अनुसार, बलदेव जी की पोल निवासी मोतीलाल अग्रवाल (55 वर्ष) रविवार शाम करीब 4 बजे अपने घर से दुकान की ओर जा रहे थे। तभी अचानक पीछे से आए एक सांड ने उन पर हमला कर दिया। सांड ने मोतीलाल को सींगों से उठाकर जोर से जमीन पर पटक दिया। गंभीर रूप से घायल मोतीलाल को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस हादसे के बाद परिवार में मातम छा गया और पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।
जनता का गुस्सा कलेक्ट्रेट तक पहुँचा
सोमवार सुबह जैसे ही यह खबर शहर में फैली, लोगों का आक्रोश बढ़ गया। नागरिक बड़ी संख्या में जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और नगर परिषद के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि नगर परिषद केवल कागजों में आवारा पशु पकड़ने के अभियान चलाती है, जबकि हकीकत में शहर के हर कोने में सांड और अन्य मवेशी खुलेआम घूमते हैं। आए दिन इनकी वजह से सड़क दुर्घटनाएं और हमले हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन गहरी नींद में सो रहा है।
नेताओं की हस्तक्षेप
स्थिति को संभालने के लिए विधायक अरूण चौधरी और पूर्व विधायक मदन प्रजापत कलेक्ट्रेट पहुंचे और जनता से बातचीत की। दोनों नेताओं ने प्रशासनिक अधिकारियों और परिजनों के साथ वार्ता की।
विधायक अरूण चौधरी ने कहा कि –
“आवारा पशुओं की समस्या केवल बालोतरा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राजस्थान में यही हाल है। सरकार इस दिशा में स्थायी समाधान की ओर बढ़ रही है। नगर परिषद, जिला प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर जल्द ही शहर से आवारा पशुओं की धरपकड़ करेंगी और उन्हें जेरला स्थित कांजी हाउस में अस्थायी रूप से रखा जाएगा।”
वहीं, पूर्व विधायक मदन प्रजापत ने कहा –
“ऐसे हादसे लगातार हो रहे हैं। सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द एक ठोस नीति बने ताकि भविष्य में किसी की जान आवारा सांड की धम्मा-चौकड़ी से न जाए।”

प्रशासन की भूमिका और बैठक में मौजूद अधिकारी
वार्ता के दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर अशोक विश्नोई, सीईटीपी अध्यक्ष रूपचंद सालेचा, समाजसेवी जसवंत गोगड़, उद्योगपति हीरालाल गोयल, व्यापारी पुष्पराज चौपड़ा सहित कई प्रबुद्धजन मौजूद रहे। लोगों ने प्रशासन से मांग की कि पूरे शहर से आवारा मवेशियों को पकड़कर सुरक्षित कांजी हाउस में रखा जाए और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।
आवारा सांडों का आतंक
स्थानीय लोगों ने बताया कि शहर के विभिन्न इलाकों मुख्य बाजार, आवासीय मोहल्लों और सार्वजनिक स्थलों पर सांडों का आतंक फैला हुआ है। कई बार छोटे बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी इनका शिकार हो चुके हैं। नागरिकों का कहना है कि जब तक नगर परिषद और जिला प्रशासन सख्ती नहीं दिखाएंगे, तब तक हालात नहीं बदलेंगे।
नतीजा और आगे की उम्मीद
इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही उजागर कर दी है। शहरवासी उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार केवल आश्वासन पर बात खत्म नहीं होगी, बल्कि आवारा पशुओं के खिलाफ ठोस और स्थायी कदम उठाए जाएंगे।
मोतीलाल अग्रवाल की मौत ने शहर को झकझोर दिया है और अब सभी की निगाहें प्रशासन और सरकार पर हैं कि वे इस गंभीर समस्या का क्या समाधान निकालते हैं।

