बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र से चार बार सांसद और एक बार विधायक रह चुके कद्दावर किसान नेता कर्नल सोनाराम चौधरी का बुधवार देर रात दिल्ली में निधन हो गया। 79 वर्षीय कर्नल चौधरी राजनीति के साथ-साथ सेना में भी अपनी सेवाएं दे चुके थे और उन्हें पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में एक सशक्त स्तंभ माना जाता था।
सीने में दर्द के बाद भर्ती, देर रात हुआ निधन
जानकारी के अनुसार बुधवार को कर्नल चौधरी दिल्ली में एक बैठक में शामिल होने गए थे। इसी दौरान अचानक सीने में दर्द महसूस होने पर उन्होंने खुद गाड़ी से अपोलो अस्पताल का रुख किया। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती कर तत्काल ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद उन्होंने अपने पुत्र डॉ. रमन चौधरी से बातचीत की और यहां तक कि सोशल मीडिया पर स्वयं के स्वस्थ होने का संदेश भी साझा किया। लेकिन देर रात लगभग 11:15 बजे उनकी तबीयत अचानक बिगड़ी और उन्होंने अंतिम सांस ली।
अंतिम यात्रा
गुरुवार सुबह लगभग 11:30 बजे एयरफोर्स के विमान से उनकी पार्थिव देह उत्तरलाई एयरबेस, बाड़मेर लाई जाएगी। यहां से उन्हें उनके बाड़मेर स्थित आवास पर एक घंटे तक अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसके बाद उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव मोहनगढ़ (जैसलमेर) ले जाया जाएगा, जहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।
राजनीतिक सफर – कांग्रेस से भाजपा और फिर कांग्रेस तक
31 मार्च 1945 को जन्मे कर्नल सोनाराम चौधरी ने शिक्षा पूरी करने के बाद भारतीय सेना जॉइन की और 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी हिस्सा लिया। 1994 में सेना से स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा।
वे 1996, 1998, 1999 और 2014 में बाड़मेर-जैसलमेर से सांसद चुने गए। साल 2008 से 2013 तक वे बायतु विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रहे।
कर्नल ने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस से शुरू किया, लेकिन 2014 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वॉइन की। उसी वर्ष मोदी लहर में वे भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए। हालांकि, 2023 विधानसभा चुनाव में उन्होंने दोबारा कांग्रेस का दामन थाम लिया और गुड़ामालानी से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
संसद और समितियों में योगदान
लोकसभा सांसद रहते हुए उन्होंने कई संसदीय समितियों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। 2014 से प्राक्कलन समिति, रक्षा संबंधी स्थायी समिति और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति में सदस्य रहे। इसके अलावा रक्षा पर संसद की स्थायी समिति की उप-समिति में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
सैन्य पृष्ठभूमि और सम्मान
कर्नल सोनाराम चौधरी ने भारतीय सेना में लगभग 25 वर्ष सेवा दी। 1971 के युद्ध में उनकी भूमिका अहम रही। उन्हें राष्ट्रपति की ओर से “विश्व सेवा पदक (VSM)” से नवाजा गया। साथ ही सेनाध्यक्ष और वायुसेनाध्यक्ष की प्रशस्तियां भी उन्हें प्राप्त हुई थीं।
कर्नल चौधरी का परिवार मूल रूप से जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ से है। उनके परिवार में पत्नी विमला चौधरी और पुत्र डॉ. रमन चौधरी हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी वे हमेशा अग्रणी रहे। उन्होंने जोधपुर स्थित एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.ई. की डिग्री ली थी। शिक्षा और खेल दोनों क्षेत्रों में उनका करियर उत्कृष्ट रहा।
कर्नल सोनाराम चौधरी को पश्चिमी राजस्थान के किसान और जाट समाज का बड़ा नेता माना जाता था। उनके निधन से क्षेत्र की राजनीति में गहरी रिक्तता पैदा हो गई है। कई नेताओं और समर्थकों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे राजस्थान के लिए बड़ी क्षति बताया है।

