बालोतरा तिलवाड़ा: श्री रावल मल्लीनाथ श्री राणी रूपादे संस्थान, तिलवाड़ा के अधीनस्थ श्री राणी रूपादे जी मंदिर, पालिया (तिलवाड़ा) परिसर में आज ब्रह्ममुहुर्त के शुभ अवसर पर त्रिदेव मंदिरों — भगवान श्री नर्मदेश्वर महादेव मंदिर, मां जोगमाया मंदिर तथा श्री नागणेच्या माता मंदिर — का भव्य शिलान्यास समारोह सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम संतों के पावन सानिध्य में, संस्थान अध्यक्ष एवं रावल श्री मल्लीनाथ जी के 25वें गादीपति, उन्हीं के वंशज रावल किशन सिंह जसोल के निर्देशन एवं उनकी उपस्थिति में शिलान्यास विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सम्पन्न किया गया।
शिलान्यास से पूर्व भव्य हवन पूजन का आयोजन हुआ, जिसमें संतों, धर्मप्रेमियों एवं श्रद्धालुओं ने मिलकर समस्त सनातन धर्म प्रेमियों के जीवन में सुख, समृद्धि एवं लोककल्याण की कामना के साथ विशेष पूजा-अर्चना की।
भगवान श्री नर्मदेश्वर महादेव नर्मदेश्वर महादेव – शिव का प्राकृतिक रूप नर्मदेश्वर महादेव भगवान शिव का एक अद्भुत प्राकृतिक रूप हैं। यह शिवलिंग नर्मदा नदी में पाए जाने वाले पत्थरों से बना स्वयंभू (स्वयं प्रकट) है, इसलिए इसे ‘बाणलिंग’ भी कहा जाता है। ये पत्थर अपनी प्राकृतिक चमक, शुद्धता और ठोसपन के लिए प्रसिद्ध हैं।

नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा के लाभ:
सकारात्मक ऊर्जा: पूजा से घर में सकारात्मक शक्तियाँ आती हैं और मन में शांति बनी रहती है।
वास्तु दोष निवारण: यह घर के वास्तु दोषों को दूर करने में सहायक माना जाता है। मोक्ष की प्राप्ति:ऐसा विश्वास है कि इनकी पूजा से मोक्ष की प्राप्ति संभव है भय से मुक्ति: यह काल और यम के भय से सुरक्षा प्रदान करता है।
मां जोगमाया हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के जन्म के समय योगमाया का भी जन्म हुआ। भगवान कृष्ण को दुष्ट राजा कंस से सुरक्षित रखने के लिए, योगमाया को उनके स्थान पर रखा गया। इस प्रकार, योगमाया ने कृष्ण का स्थान ग्रहण कर कंस के क्रोध से उन्हें बचाया। इसके बाद, योगमाया देवी विंध्य पर्वतों में निवास करने लगीं, इसलिए उन्हें विंध्यवासिनी के नाम से भी जाना जाता है। मां जोगमाया शक्ति की आदि स्वरूपा हैं — सृष्टि की रचना, पालन और संहार की अधिष्ठात्री। उनकी उपासना से मन, बुद्धि एवं आत्मबल की वृद्धि होती है, साथ ही नारी शक्ति के सम्मान और संरक्षण का प्रेरक संदेश मिलता है।
श्री नागणेच्या माता: श्री नागणेच्या माता राठौड़ राजवंश की कुलदेवी चक्रेश्वरी, राठेश्वरी, नागणेची या नागणेचिया के नाम से प्रसिद्ध है, जिन्हें संरक्षण, साहस और संकल्प की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनके मंदिर का निर्माण क्षेत्र में श्रद्धा, आस्था और लोकविश्वास का अद्वितीय केंद्र बनेगा, जिससे लोक परंपरा और संस्कृति का समागम होगा।
कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य इस अवसर पर श्री रावल मल्लीनाथ श्री राणी रूपादे संस्थान, तिलवाड़ा के प्र. उपाध्यक्ष कुंवर हरिश्चंद्र सिंह जसोल एवं विष्णु पाल सिंह सिणधरी, मुकेश जी सोमपुरा, भगवत सिंह थान मल्लीनाथ, प्रधानाचार्य जसोल जेतमाल सिंह राठौड़, कीर्तिमानसिंह जसोल, देवीसिंह कितपाला, जितेंद्र सिंह, जगदीश सिंह डंडाली, गोपाल सिंह कालेवा, विक्रमादित्य सिंह बुड़ीवाड़ा, महिपाल सिंह झंवर, प्रवीण सिंह टापरा, सुमेरसिंह डाभड़, निर्माण कार्य ठेकेदार दिलीप सिंह, जबर सिंह सहित अनेक श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।

