बालोतरा/डोली जोजरी नदी में जोधपुर की फैक्ट्रियों से आने वाले रासायनिक व दूषित पानी के कारण वर्षों से परेशान किसान और ग्रामीण अब एक बार फिर संघर्ष के मोड में आ गए हैं। नदी के प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य, पशु-पक्षी और पर्यावरण को हो रहे नुकसान के खिलाफ डोली क्षेत्र के पीड़ित ग्रामीणों ने 11 अगस्त से जिला सीमा पर अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा कर दी है। इस आंदोलन का नेतृत्व थानसिंह डोली करेंगे।
थानसिंह डोली ने कहा कि जोजरी नदी में लगातार गिराया जा रहा औद्योगिक कचरा ग्रामीण जीवन के लिए गंभीर संकट बन चुका है। कई वर्षों से इस समस्या के समाधान के लिए ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन, रैलियां और प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकातें कीं, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला, ज़मीनी कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि 6 अगस्त 2023 को डोली टोल प्लाजा पर, 1 सितंबर 2024 को जिला सीमा डोली में, और हाल ही में 24 जुलाई 2025 को डोली राजगुरां बस स्टैंड पर ग्रामीणों ने बड़े पैमाने पर धरना दिया था। उन मौकों पर प्रशासन ने समस्या का स्थायी समाधान निकालने का भरोसा दिया था, लेकिन स्थितियां जस की तस बनी हुई हैं।

ग्रामवासियों का कहना है कि प्रशासनिक वादाखिलाफी अब असहनीय हो गई है। 24 जुलाई को भील समाज के युवक भैराराम की मौत के बाद, अंतिम संस्कार को लेकर परिजन और अराबा-डोली क्षेत्र के लोग धरने पर बैठे थे। तब प्रशासन ने लिखित समझौते में कई वादे किए थे – जैसे प्रभावित परिवारों और किसानों की जमीन का सर्वे, डोली कलां तक सड़क निर्माण, प्रभावित इलाकों से दूषित पानी की निकासी, और डोली राजगुरां, अराबा पुरोहितान व अराबा चौहान गांवों के पीड़ित घरों के लिए राहत कार्य। लेकिन पंद्रह दिन से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी कोई ठोस कदम नज़र नहीं आया।
थानसिंह डोली ने कहा – “यह आंदोलन किसानों और ग्रामीणों का अंतिम प्रयास है। अगर अब भी हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो यह लड़ाई लंबी चलेगी। जोजरी नदी को बचाना और किसानों के हक की रक्षा करना ही हमारा उद्देश्य है।”
आंदोलनकारियों ने जोधपुर और बालोतरा के किसानों व नागरिकों से 11 अगस्त को धवा डोली सरहद पर जुटकर इस संघर्ष को मजबूत करने की अपील की है। ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल डोली की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र के भविष्य का सवाल है, और अगर अभी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढ़ियां भी इस प्रदूषण की मार झेलेंगी।

