बालोतरा जिले के डोली, अराबा और कल्याणपुर क्षेत्र के किसानों व ग्रामीणों में इन दिनों गुस्सा और आक्रोश चरम पर है। वजह है जोधपुर की फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला, रासायनिक और प्रदूषित पानी, जो नालों और जोहड़ों के जरिए गांव-गांव तक पहुंच रहा है। इस पानी के कारण न सिर्फ किसानों की मेहनत से उगाई गई फसलें बर्बाद हो रही हैं, बल्कि पीने के पानी का स्रोत भी दूषित हो गया है, जिससे ग्रामीणों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
धरना स्थल पर टेंट भी नहीं लगाने दिया, फिर भी डटे रहे ग्रामीण
सोमवार को डोली टोल प्लाजा के पास आरएलपी नेता थानसिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसान और ग्रामीण एकत्र हुए और अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के चलते पुलिस ने टेंट लगाने की इजाजत नहीं दी। बावजूद इसके, ग्रामीण खुले आसमान के नीचे ही बैठकर अपनी मांगों को बुलंद करते रहे।
थानसिंह राजपुरोहित ने आरोप लगाया कि पुलिस हर संभव तरीके से धरने को खत्म कराने की कोशिश कर रही है, जो लोकतांत्रिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इस प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान होना चाहिए, वरना आने वाली पीढ़ियां भी इसका खामियाजा भुगतेंगी।
14 अगस्त को आंदोलन होगा और तेज
थानसिंह ने घोषणा की कि 14 अगस्त को आरएलपी सुप्रीमो और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व में यह आंदोलन और भी व्यापक स्तर पर किया जाएगा। उनका कहना था कि यदि सरकार ने इस गंभीर समस्या पर तुरंत ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन जिले से निकलकर प्रदेश स्तर पर फैल सकता है।
किसानों की बढ़ती चिंता
ग्रामीणों ने बताया कि फैक्ट्रियों से निकला केमिकलयुक्त पानी खेतों में पहुंचने से मिट्टी की उर्वरता खत्म हो रही है। कई किसानों की सालभर की मेहनत एक ही बार में नष्ट हो गई। पीने के पानी के दूषित होने से पशुओं की जान भी खतरे में है। वे कहते हैं कि यदि यह सिलसिला जारी रहा तो खेती पूरी तरह चौपट हो जाएगी और पलायन की नौबत आ जाएगी।
भारी पुलिस बल की मौजूदगी
धरना स्थल पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया। थानसिंह ने आरोप लगाया कि जिला पुलिस अधिकारी भाजपा सरकार और स्थानीय विधायक-मंत्री के दबाव में कार्रवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में जनता की आवाज को दबाना संभव नहीं है। किसानों की आवाज को कुचलने का यह प्रयास इस क्षेत्र के लोग कभी भूलेंगे नहीं।”
सरकार से सीधी चेतावनी

ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वे आंदोलन को और बड़ा करेंगे और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उग्र विरोध करेंगे। उनका कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ पानी या खेतों की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की है।

