राजस्थान के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार जसोल स्थित श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान में एक अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो गई। प्रसाद मंदिर के अन्दर चढ़ाने, मंदिर के अन्दर जोत जलाने और दो नली की बंदूक एवं भाले मंदिर के अन्दर ले लाने को लेकर श्रद्धालुओं और मंदिर संस्थान के सुरक्षा कर्मियों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि स्थानीय प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। शनिवार सुबह तक मामला गरमा गया जब जोधपुर से आए श्रद्धालुओं का जत्था मंदिर के बाहर आम रास्ते पर जमा होकर मंदिर के अंदर प्रसाद चढ़ाने की अनुमति की मांग पर अड़ा रहा।
भरत दाधीच के संघ का आरोप – मंदिर के अन्दर प्रसाद ले जाने से रोका गया
हर वर्ष की तरह इस बार भी जोधपुर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पैदल यात्रा कर जसोल पहुंचे। जत्थे के प्रमुख भरत दाधीच भोपा ने आरोप लगाया कि जब वे मंदिर पहुंचे और संध्या आरती में प्रसाद मंदिर के अन्दर चढ़ाने का प्रयास किया, तो उन्हें रोक दिया गया। उनका कहना है कि मंदिर ट्रस्ट के कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें प्रसाद मंदिर के अन्दर लेने से रोका, जिससे उनकी आस्था पर गहरी चोट बताया।
मंदिर ट्रस्ट का पक्ष–हथियारों के साथ जत्थे की एंट्री पर लगी रोक

दूसरी ओर मंदिर ट्रस्ट ने इन आरोपों का पूरी तरह खंडन किया। संस्थान प्रबंधक जेठू सिंह ने कहा कि लाखों श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं और किसी पर कोई रोक टोक नहीं रहती। लेकिन इस बार जत्थे में शामिल कुछ लोग धारदार भाला और दो नली बंदूक जैसे हथियार लेकर मंदिर द्वार तक पहुंचे और मंदिर के अन्दर ले जाने को लेकर हुड़दंग करने लगे। सुरक्षा कारणों से सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया।
जेठू सिंह का कहना है कि प्रसाद चढ़ाने के लिए मंदिर के सामने ही एक निर्धारित स्थान उपलब्ध है, जहां सभी श्रद्धालु प्रसाद चढ़ाते हैं। बावजूद इसके, जत्थे ने जबरन बैरिकेड्स हटाए और प्रवेश द्वार की ओर बढ़े, जिससे अफरा-तफरी फैल गई।
मंदिर संस्थान सुरक्षा प्रबंधक की लिखित शिकायत
मंदिर संस्थान सुरक्षा प्रबंधक चत्तरसिंह ने जसोल थाना पुलिस को दी गई लिखित शिकायत में बताया कि 29 अगस्त 2025 की शाम लगभग 7 बजे भरत दाधीच भोपा, जोधपुर अपने साथ करीब 200 श्रद्धालुओं का जत्था लेकर जसोल मुख्य बस स्टैंड से मंदिर की ओर आया। इस दौरान कई लोग हथियारों (बंदूक, भाले आदि) के साथ थे और वे सीधे मंदिर के प्रवेश द्वार पर जाना चाहते थे। ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी सवाईसिंह ने उन्हें रोककर समझाया कि मंदिर में हथियार ले जाने की सख्त मनाही है। लेकिन जत्थे ने भरत दाधीच के दिशा निर्देश में उग्र होकर बैरिकेड्स धकेले और जबरन आगे बढ़ा। इस दौरान भरत दाधीच के संघ ने सुरक्षाकर्मियों और मंदिर कर्मचारियों पर धक्का-मुक्की, हाथापाई और गाली-गलौज की गई। हालात बिगड़ने पर सुरक्षाकर्मियों ने प्रवेश द्वार बंद कर दिया और पुलिस को सूचित किया।
यह भी बताया कि हुड़दंग के चलते संध्या आरती में व्यवधान पड़ा और दूर-दराज से आए सैकड़ों श्रद्धालु आरती का लाभ नहीं ले सके और उनकी आस्था को भारी ठेस पहुंची। साथ ही मंदिर परिसर की व्यवस्थाओं को भी नुकसान पहुंचा।

पूर्व विवाद का भी जिक्र
चत्तरसिंह ने यह भी लिखा कि भरत दाधीच, जोधपुर और उनके जत्थे का यह पहला विवाद नहीं है। वर्ष 2017 में भी मेले के दौरान ऐसे ही शांति भंग की थी, जब मंदिर सुरक्षाकर्मियों और पुलिस कर्मी नैनाराम के साथ हाथापाई कर वर्दी फाड़ दी थी।
भरत दाधीच और ट्रस्ट के बीच टकराव क्यों?
स्थानीय जानकार बताते हैं कि जसोलधाम में देशभर से प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर ट्रस्ट ने जिला प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर कई व्यवस्थाएं लागू कर रखी हैं। संस्थान ने कोरोनाकाल के दौरान प्रसाद चढ़ाने के लिए मंदिर के सामने स्थान तय किया था, जो अभी भी लागू है। और देश के प्रमुख धार्मिक स्थानों में भीड़ नियंत्रण हेतु इसी प्रकार की व्यवस्थाएं की जा रही है। जबकि आरती और दर्शन का समय भी निर्धारित है। लेकिन इस बार भरत दाधीच भोपा, जोधपुर के संघ ने परंपराओं और नियमों से अलग होकर सीधे गर्भगृह में प्रसाद चढ़ाने, दो नली बंदूक एवं भाले मंदिर के अन्दर ले जाने को लेकर हुड़दंग किया, जिससे विवाद की स्थिति बन गई।
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